शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

मन की रुबाई





















मन की रूबाइयों पर मत जा ऐ साकी 
जाम भर और रूह को रिंदाना कर दे !!

सु-मन 

8 comments:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सही।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (09-08-2020) को     "भाँति-भाँति के रंग"  (चर्चा अंक-3788)     पर भी होगी। 
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
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Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Rakesh ने कहा…

बहुत सुंदर

मन की वीणा ने कहा…

बहुत खूब।👋🏻

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही जलावाब लिखा है ...

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

बहुत ख़ूब !

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