शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

मदमस्त फुहार

सुबह ऑफिस जाते हुए रास्ते का नज़ारा 













ये श्वेत सा जब बिखर गया
हरित सी इन फ़िज़ाओं में
झूम उठा माटी का कण कण
भादो की मदमस्त फुहारों में !!

सु-मन 

5 comments:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... सावन भादों की महक लिए ...

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

अल्प शब्दों में ढेर-सा सौंदर्य एवं सोंधी-सोंधी माटी की गंध बिखेर दी है आपने ।

UDAY RAJ PANDEY ने कहा…

वास्तव में आपने बहुत बढ़िया लिखा है , आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Anybody interested in DREAM MEANING

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