वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
बहुत सर्द हैं हवाएँ
घना कोहरा बेहिज़ाब है
जर्द पत्तों में है ख़ामोशी
तेरी ख़लिश बेहिसाब है !!