एक बार राधा से श्रीकृष्ण से पूछा - हे कृष्ण ! तुम प्रेम तो मुझसे करते हों परंतु तुमने विवाह मुझसे नहीं किया , ऐसा क्यों ? मैं अच्छे से जानती हूं तुम साक्षात भगवान ही हो और तुम कुछ भी कर सकते हों , भाग्य का लिखा बदलने में तुम सक्षम हों , फिर भी तुमने रुकमणी से शादी की , मुझसे नहीं।
राधा की यह बात सुनकर श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया - हे राधे ! विवाह दो लोगों के बीच होता है। विवाह के लिए दो अलग-अलग व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। तुम मुझे यह बताओं राधा और कृष्ण में दूसरा कौन है। हम तो एक ही हैं। फिर हमें विवाह की क्या आवश्यकता है। नि:स्वार्थ प्रेम, विवाह के बंधन से अधिक महान और पवित्र होता है। इसीलिए राधाकृष्ण नि:स्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं और सदैव पूजनीय हैं।
33 comments:
वाह सुमन जी वाह.
आपकी कृष्णमयी राधा लीला और राधामयी कृष्ण लीला के आगे नतमस्तक हो गया मैं तो.
सलाम.
क्या बात है..सुमन जी,...बहुत ही प्रेममयी गुढ़ तथ्य को बता दिया आपने..बहुत ही सुंदर .....
बहुत अच्छा तर्क दिया गया है.
श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यनन्दा ।
हरे दाता हरे राम- राधे गोविन्दा ॥
राधे राधे श्याम मिला दे !
जय हो !
खूब !
बिल्कुल सटीक बात कह दी ..कृष्ण और राधा अलग ही कहाँ थे
विवाह और प्रेम को क्या परिभाषित किया है. बहुत बधाई और शत शत नमन.
अच्छा प्रसंग..
bahut badhiyaa
सुंदर।
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।
मुझे मेरी पत्नी के रोज रोज के सवाल का उत्तर यहाँ मिल गया..आज जाके बताता हूँ की मैंने अपनी प्रेमिका से शादी क्यों नहीं की..
मेरे मजाक को अन्यथा न लें..होली का रंग अभी तक पूरी तरह उतरा नहीं है..
बहुत सुन्दर ज्ञान मिला
धन्यवाद
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत खूब...
ये वास्तविकता में कहा गया कथन ही होगा...:
)
सुमन जी क्या बात है .....
प्रेम के इस तर्क ने तो दिल खुश कर दिया .....
sach kaha. radha krishan alag hi kahan the.
बहुत सुन्दर.
Bilkul sahi....Aatma to Parmatma ka hi ansh hoti hai......Sundar
जो उचित था वही कृष्ण ने किया .
wah...gazab ki baat kah di hai.
बहुत सही कहा है...राधा और कृष्ण अलग है कहाँ..
तर्क अच्छा,जवाब अच्छा है.
बहुत सुन्दर ज्ञान, राधा और कृष्ण अलग है कहाँ|
धन्यवाद
Suman ji aap ka likha laajwaab hai..........Prem ko bahut khubsurati se kaha...
आपके विचार बहुत अच्छे हैं।
वाह क्या तर्क है.सुन्दर.
सुन्दर भाव
Radha aur Krishna ka sambandh bahuton ke samajh ke pare hai.Radha ke bina Krishna ki kalpana hi nahi ki ja sakti.Aur yahi satya bhi hai.
Ekakar hain dono..
Bahut khoob likha hai aapne.Natmastak hun.
Sunderta se paripurn terk, lajwab ker diya
सच में दूसरा कौन है? सही कहा आपने
यानि रूक्मणी और कृष्ण अलग अलग थे। रूक्मणी मजबूरी थी।
shyam rang me rangi chunariyaaa ab rang doojo bhaave naa ,jin nainan me shaam abse hain aur doosraa aave naa .
raadhaa ke binaa aadhe shyaam !vaah kyaa baat hai ,haryaanvee me kahun to "ji saa aagyaa ".laazavaab ,marhbaa .
veerubhai .
MERE MUH KI BAAT AAPNE CHHIN LI.
bhagwaan bahana bana rahe hain.
bahut hi achchha kikha hai prem hi sacha rista hai so reylly saty hai ji
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