मंगलवार, 22 मार्च 2011

दूसरा कौन


एक बार राधा से श्रीकृष्ण से पूछा - हे कृष्ण ! तुम प्रेम तो मुझसे करते हों परंतु तुमने विवाह मुझसे नहीं किया , ऐसा क्यों ? मैं अच्छे से जानती हूं तुम साक्षात भगवान ही हो और तुम कुछ भी कर सकते हों , भाग्य का लिखा बदलने में तुम सक्षम हों , फिर भी तुमने रुकमणी से शादी की , मुझसे नहीं।
राधा की यह बात सुनकर श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया - हे राधे ! विवाह दो लोगों के बीच होता है। विवाह के लिए दो अलग-अलग व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। तुम मुझे यह बताओं राधा और कृष्ण में दूसरा कौन है। हम तो एक ही हैं। फिर हमें विवाह की क्या आवश्यकता है। नि:स्वार्थ प्रेम, विवाह के बंधन से अधिक महान और पवित्र होता है। इसीलिए राधाकृष्ण नि:स्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं और सदैव पूजनीय हैं।



33 comments:

विशाल ने कहा…

वाह सुमन जी वाह.
आपकी कृष्णमयी राधा लीला और राधामयी कृष्ण लीला के आगे नतमस्तक हो गया मैं तो.
सलाम.

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

क्या बात है..सुमन जी,...बहुत ही प्रेममयी गुढ़ तथ्य को बता दिया आपने..बहुत ही सुंदर .....

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

बहुत अच्छा तर्क दिया गया है.

ओम पुरोहित'कागद' ने कहा…

श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यनन्दा ।
हरे दाता हरे राम- राधे गोविन्दा ॥
राधे राधे श्याम मिला दे !
जय हो !
खूब !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बिल्कुल सटीक बात कह दी ..कृष्ण और राधा अलग ही कहाँ थे

रचना दीक्षित ने कहा…

विवाह और प्रेम को क्या परिभाषित किया है. बहुत बधाई और शत शत नमन.

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा प्रसंग..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bahut badhiyaa

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सुंदर।

होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।

आशुतोष की कलम ने कहा…

मुझे मेरी पत्नी के रोज रोज के सवाल का उत्तर यहाँ मिल गया..आज जाके बताता हूँ की मैंने अपनी प्रेमिका से शादी क्यों नहीं की..
मेरे मजाक को अन्यथा न लें..होली का रंग अभी तक पूरी तरह उतरा नहीं है..
बहुत सुन्दर ज्ञान मिला
धन्यवाद

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

Shekhar Suman ने कहा…

बहुत खूब...
ये वास्तविकता में कहा गया कथन ही होगा...:
)

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

सुमन जी क्या बात है .....
प्रेम के इस तर्क ने तो दिल खुश कर दिया .....

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sach kaha. radha krishan alag hi kahan the.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर.

sumeet "satya" ने कहा…

Bilkul sahi....Aatma to Parmatma ka hi ansh hoti hai......Sundar

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

जो उचित था वही कृष्ण ने किया .

mridula pradhan ने कहा…

wah...gazab ki baat kah di hai.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सही कहा है...राधा और कृष्ण अलग है कहाँ..

Kunwar Kusumesh ने कहा…

तर्क अच्छा,जवाब अच्छा है.

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर ज्ञान, राधा और कृष्ण अलग है कहाँ|
धन्यवाद

suman gaur ने कहा…

Suman ji aap ka likha laajwaab hai..........Prem ko bahut khubsurati se kaha...

Rajendra Rathore ने कहा…

आपके विचार बहुत अच्छे हैं।

shikha varshney ने कहा…

वाह क्या तर्क है.सुन्दर.

Dwarka Baheti 'Dwarkesh' ने कहा…

सुन्दर भाव

Vijuy Ronjan ने कहा…

Radha aur Krishna ka sambandh bahuton ke samajh ke pare hai.Radha ke bina Krishna ki kalpana hi nahi ki ja sakti.Aur yahi satya bhi hai.
Ekakar hain dono..

Bahut khoob likha hai aapne.Natmastak hun.

amrendra "amar" ने कहा…

Sunderta se paripurn terk, lajwab ker diya

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

सच में दूसरा कौन है? सही कहा आपने

Rajeysha ने कहा…

यानि‍ रूक्‍मणी और कृष्‍ण अलग अलग थे। रूक्‍मणी मजबूरी थी।

virendra sharma ने कहा…

shyam rang me rangi chunariyaaa ab rang doojo bhaave naa ,jin nainan me shaam abse hain aur doosraa aave naa .
raadhaa ke binaa aadhe shyaam !vaah kyaa baat hai ,haryaanvee me kahun to "ji saa aagyaa ".laazavaab ,marhbaa .
veerubhai .

शाहजाहां खान “लुत्फ़ी कैमूरी” ने कहा…

MERE MUH KI BAAT AAPNE CHHIN LI.

शाहजाहां खान “लुत्फ़ी कैमूरी” ने कहा…

bhagwaan bahana bana rahe hain.

Unknown ने कहा…

bahut hi achchha kikha hai prem hi sacha rista hai so reylly saty hai ji

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