वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
मैं काव्यात्मक दृष्टी से नहीं कह रहा हूँ मगर व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत पसंद आई ये ४ पंक्तिया.. मगर शयद कुछ लोगो को निराशा का भाव लिए लग सकती है... .................
suman ,,,, bahut sundar panktiyan , maine FB par bhi iski tareef ki thi ... kuch lambi kavitayen likho , jo aapki shaili hia , padhakar bahut accha lagta hai ..
badhayi
मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है . http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html
Aaj aapki bahut si rachnayen padhii ..ek se ek behtariin lekin ye " chand panktiyon "man mein ghar sa kar gayii ..its really exceelent . bandhaii swikar karen
31 comments:
वाह! बहुत खूब!
kamaal ki lekhni.....utkrishta rachana
बहुत सुन्दर मुक्तक लिखा है आपने!
खूबसूरत पंक्तियों, गहरे भाव लिए हुए. बधाई.
बहुत खूब ..
मैं काव्यात्मक दृष्टी से नहीं कह रहा हूँ मगर व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत पसंद आई ये ४ पंक्तिया..
मगर शयद कुछ लोगो को निराशा का भाव लिए लग सकती है...
.................
आशुतोष की कलम से.
हिंदी कविता-कुछ अनकही कुछ विस्मृत स्मृतियाँ
सुमन जी...
ज़िंदगी के साथ एकाकार हो जाइए...
ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है...
बहुत ही खूब सुमन !
वाह ! क्या बात है ! गज़ब !
बहुत्य ही अच्छी पंक्तियां !
बधाई !
जय हो !
वाह! बढ़िया शेअर
बहुत खूब ..........
suman ji behtreen rachana ,kam alfajo mai sunder abhivyakti .
हाँ वो ही थी
जो खुद पनाह
की मोहताज़ थी
दिल को छूती रचना।
आपकी रचनाएँ हमेशा दिल को छूती हैं,
क्यों जो दिल से निकलती हैं.
यह रचना भी अपवाद नहीं.
मुआफी चाहूंगा,"बरक" शब्द का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाया.
हो सके तो बताईये.
आप सभी दोस्तों का बहुत बहुत शुक्रिया.....
विशाल जी...मेरी रचनाओं को पसन्द करने के लिये धन्यवाद..... बरक का अर्थ है... पन्ना, सफ़्हा (page)
वाह ...बहुत खूब ....!!
( बरक नहीं वरक होना चाहिए ..देख लें ...)
शुक्रिया हीर जी.....गलती बताने के लिये..... अब ठीक कर ली है ....शुक्रिया
sundar panktiyaan
bahut achhi prastuti
सुन्दर भावमय अभिव्यक्ति। शुभकामनायें।
ग़ज़ब है ग़ज़ब.
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ।
सुन्दर, काफी अच्छी लगी !!
चार लाइनें पर बहुत ही सुंदर और गहरी, वाह
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
suman ,,,, bahut sundar panktiyan , maine FB par bhi iski tareef ki thi ... kuch lambi kavitayen likho , jo aapki shaili hia , padhakar bahut accha lagta hai ..
badhayi
मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html
बहुत खूब कहा है आपने|धन्यवाद|
वाह बहुत खूब...क्या बात है.
बहुत खूब. शुभकामनायें !!
वाह, जिंदगी की पनाह. शानदार लिखा.
दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
Aaj aapki bahut si rachnayen padhii ..ek se ek behtariin
lekin ye " chand panktiyon "man mein ghar sa kar gayii ..its really exceelent .
bandhaii swikar karen
bahut khub!!!!!!!!!!!!!!!!
सुन्दर भाव
http://shayaridays.blogspot.com
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