वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
अपने शब्दों का क़त्ल ... एक तरहकी सजा तो है ...
भावप्रणव सुन्दर क्षणिकाएँ।
सही कहा है आपने !
WAAH....
शब्द और विचारों को कभी मरने नही देना चाहिए ! नज़्म अच्छी है
Sach kaha
ओह ! कितनी मार्मिक ! बहुत सुन्दर !
कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .....
बहुत सुंदर :)
ह्रदय स्पर्शी !
अपने आप को मिटाने ने में पल भर भी नही लगता और बनाने में पूरी जिन्दगी।निहायती खुबसुरत रचना
waaah
आपकी रचना के हरेक अल्फाज मन में समा गए। आपके भावों की कद्र करते हुए आपके जज्बे को सलाम करता हूं। शुभ रात्रि।
13 comments:
अपने शब्दों का क़त्ल ... एक तरहकी सजा तो है ...
भावप्रणव सुन्दर क्षणिकाएँ।
सही कहा है आपने !
WAAH....
शब्द और विचारों को कभी मरने नही देना चाहिए ! नज़्म अच्छी है
Sach kaha
ओह ! कितनी मार्मिक ! बहुत सुन्दर !
कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .....
बहुत सुंदर :)
ह्रदय स्पर्शी !
अपने आप को मिटाने ने में पल भर भी नही लगता और बनाने में पूरी जिन्दगी।
निहायती खुबसुरत रचना
waaah
आपकी रचना के हरेक अल्फाज मन में समा गए। आपके भावों की कद्र करते हुए
आपके जज्बे को सलाम करता हूं। शुभ रात्रि।
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