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भरा भरा पर खाली खाली (घर की छत से दिखता आसमां) |
बीती शाम
हवा ने एक चुटकी काटी
और नम पलकों से
चुरा ले गई कुछ बूँदें
खुश्क आँखें देखती रही
उन्हें जाते , दूर कहीं
बाद इसके –
आसमां के ज़िस्म से
उतरने लगा लिबास कोई
रूह मेरी
देर तक पैरहन एक सिलती रही !!
सु-मन
12 comments:
मन को छू गई आपकी एक -एक पंक्ति ! हार्दिक बधाई सुमन जी !!
Sumanji...aapki kavitaye bahut hi sundar hoti hain!!
Bravo!!!
beautiful :)
सुंदर ।
वाह ! बहुत ही सुन्दर ! कितना नाज़ुक सा ख़याल है ! क्या कहने !
मन के बहुत करीब से गुजरती हुई पंक्तिया
अच्छी पोस्ट आभार
दिल को छूती बहुत ख़ूबसूरत रचना..
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति.... ;)
वैसे आज तक ये समझ नहीं आया कि हर ब्लॉग कि प्रस्तुति इतनी अच्छी कैसे हैती है.... ब्लॉगिंग के सुनहरे दिन...
badhiya post...
गहरे असर करने वाले शब्द ... बहुत उम्दा ...
बहुत सुन्दर
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