वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीवात्मा एक दरवाज़े से निकल कर दूसरे में प्रवेश करता है। अंतकाल में व्यक्ति जो सोचता है उसी को प्राप्त होता है जो कृष्णभावना अमृत में रहता है वह वैकुण्ठ को जाता है उसके लिए यह अंतिम मृत्यु यानी परान्तकाल साबित होती है। सुन्दर पोस्ट।
23 comments:
शुक्रिया
सुंदर.
ऐसे में क्यों हम दीवाने हो जाएँ ना...
waah ..bahut sundar ....
धन्यवाद
शुक्रिया निशा जी
बढ़िया प्रस्तुति , आ. धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
फुर्सत मिले तो .शब्दों की मुस्कुराहट पर आकर नई पोस्ट जरूर पढ़े....धन्यवाद :)
बेहतरीन...
वाह
वाह !! मंगलकामनाएं आपको !
तस्वीर सब कुछ बयां कर रही है....
Bahoot Khoob..
http://www.meapoet.in/
बहुत सुन्दर ....
बेहद उम्दा सामयिक रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें....
सुंदर पंक्तियाँ
सुन्दर शब्दचित्र मन :भाव स्थिति
आपके पोस्ट के लिंक
https://www.facebook.com/groups/605497046235414/ .... यहाँ है .... आप भी आयें
हाय ! कितना खुशगंवार है आपके यहाँ का मौसम
हमारे यहाँ तो बिलकुल इसके विपरीत है :)
सुन्दर रचना !
वाह सावन का सुन्दर दृश्य दिखा दिया आपने बधाई।
बहुत सुन्दर ... दृश्य भी बहुत सुन्दर
मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीवात्मा एक दरवाज़े से निकल कर दूसरे में प्रवेश करता है। अंतकाल में व्यक्ति जो सोचता है उसी को प्राप्त होता है जो कृष्णभावना अमृत में रहता है वह वैकुण्ठ को जाता है उसके लिए यह अंतिम मृत्यु यानी परान्तकाल साबित होती है। सुन्दर पोस्ट।
रचना मन के भावों को दोलायमान कर गई। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।
एक टिप्पणी भेजें