वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 4 . 8 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है. अपने ब्लॉग को ब्लॉगप्रहरी से जोड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें http://www.blogprahari.com/add-your-blog अथवा पंजीयन करें http://www.blogprahari.com/signup . अतार्जाल पर हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता आपके सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती. मोडरेटर ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क
मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीवात्मा एक दरवाज़े से निकल कर दूसरे में प्रवेश करता है। अंतकाल में व्यक्ति जो सोचता है उसी को प्राप्त होता है जो कृष्णभावना अमृत में रहता है वह वैकुण्ठ को जाता है उसके लिए यह अंतिम मृत्यु यानी परान्तकाल साबित होती है। सुन्दर पोस्ट।
27 comments:
बढ़िया
शुक्रिया
सुंदर.
ऐसे में क्यों हम दीवाने हो जाएँ ना...
waah ..bahut sundar ....
धन्यवाद
:))))))
शुक्रिया निशा जी
बढ़िया प्रस्तुति , आ. धन्यवाद !
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सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 4 . 8 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
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बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
फुर्सत मिले तो .शब्दों की मुस्कुराहट पर आकर नई पोस्ट जरूर पढ़े....धन्यवाद :)
बेहतरीन...
वाह
वाह !! मंगलकामनाएं आपको !
तस्वीर सब कुछ बयां कर रही है....
Bahoot Khoob..
http://www.meapoet.in/
बहुत सुन्दर ....
बेहद उम्दा सामयिक रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें....
सुंदर पंक्तियाँ
सुन्दर शब्दचित्र मन :भाव स्थिति
आपके पोस्ट के लिंक
https://www.facebook.com/groups/605497046235414/ .... यहाँ है .... आप भी आयें
हाय ! कितना खुशगंवार है आपके यहाँ का मौसम
हमारे यहाँ तो बिलकुल इसके विपरीत है :)
सुन्दर रचना !
वाह सावन का सुन्दर दृश्य दिखा दिया आपने बधाई।
बहुत सुन्दर ... दृश्य भी बहुत सुन्दर
मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीवात्मा एक दरवाज़े से निकल कर दूसरे में प्रवेश करता है। अंतकाल में व्यक्ति जो सोचता है उसी को प्राप्त होता है जो कृष्णभावना अमृत में रहता है वह वैकुण्ठ को जाता है उसके लिए यह अंतिम मृत्यु यानी परान्तकाल साबित होती है। सुन्दर पोस्ट।
रचना मन के भावों को दोलायमान कर गई। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।
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