वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
रिश्ते के प्रति प्रतिबद्धता मेरा निर्णय है और निष्कासन तुम्हारी अपनी चाह | सोच अलहदा होकर भी एक सी हैं ..बे-हद और बेलगाम | हम लाईलाज तमन्नाओं से अभिशप्त हैं !! सु-मन
मेरे पास हज़ारों ख़्वाहिशें हैं तुम तक पहुँचने की और और तुम्हारे पास बहुत सारे गिले जुदा होने के | चलो हिसाब बराबर हुआ ..गिला ख़्वाहिशों की नमी तले आबाद रहे !! सु-मन