वजूद की तलाश में .. अतीत की कलियां जब मुखर उठती हैं .. खिलता है ‘सुमन’ वर्तमान के आगोश में कुछ पल .. दम तोड़ देती हैं पंखुड़ियां .. भविष्य के गर्भ में .. !!
शनिवार, 26 दिसंबर 2015
शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015
शनिवार, 5 दिसंबर 2015
बुधवार, 28 अक्टूबर 2015
मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015
गुरुवार, 10 सितंबर 2015
सोमवार, 17 अगस्त 2015
गुरुवार, 30 जुलाई 2015
गुरुवार, 16 जुलाई 2015
गुरुवार, 2 जुलाई 2015
गुरुवार, 18 जून 2015
मंगलवार, 26 मई 2015
मंगलवार, 5 मई 2015
जिंदगी एक कहानी ही तो है
एक कहानी होती है । जिसमें खूब पात्र होते हैं ।एक निश्चित समय में दो पात्रों के बीच वार्तालाप होता है । दो पात्र कोई भी वो दो होतें हैं जो कथानक के हिसाब से तय होते हैं । कथानक कौन लिखता है उन किसी को नहीं मालूम । मालूम है तो बस इतना कि उस लिखे को मिटाया नहीं जा सकता । प्रतिपल लिखे को आत्मसात कर कहानी को आगे बढ़ाते जाते हैं । इस कहानी में मध्यांतर भी नहीं होता कि कोई सोचे जो पीछे घटित हुआ उसके अनुसार आगे क्या घटित होगा । बस होता जाता है सब एक सुव्यवस्थित तरीके से । कहानी कभी खत्म नहीं होती ।हाँ बस पात्र बदलते रहते हैं ।
वार्तालाप खत्म होने पर भी पात्र इकहरा नहीं होता,जाने क्यूँ । दोहरापन हमेशा लचीला होता है शायद इसलिए !!
सु-मन
रविवार, 19 अप्रैल 2015
मंगलवार, 7 अप्रैल 2015
बुधवार, 11 मार्च 2015
शनिवार, 31 जनवरी 2015
बुधवार, 28 जनवरी 2015
शनिवार, 17 जनवरी 2015
सोमवार, 5 जनवरी 2015
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